सोमवार, 4 मई 2020

जीवों में जनन






अध्याय -1
जीवो में जनन
जीवन अवधि जीव के जन्म से लेकर उसकी प्राकृतिक मृत्यु तक की अवधि (काल) उसकी जीवन अवधि कहलाती है .
किसी भी जीव की जीवन अवधि का उसके शरीर के आकार से कोई सम्बन्ध नहीं होता
एक कोशिकीय जीवों को छोड़कर कोई भी जीव अमर नहीं है एक कोशिकीय जीवों की प्राकृतिक मृत्यु नहीं होती. जीवों में जीवन की निरंतरता बनाए रखने के लिए होने वाली प्रक्रिया जनन है.
S.N.
नाम
जीवन अवधि
S.N.
नाम
जीवन अवधि
1
तितली
1 – 2 हफ्ते
1
धान
3-7 माह
2
फल मक्खी
40 -50 दिन
2
केला
6 वर्ष
3
कोआ
15 वर्ष
3
गुलाब
35 वर्ष
4
कुत्ता
20 वर्ष
4
बरगद
309 वर्ष
5
गाय
18 -20 वर्ष
5
पीपल
900-1500 वर्ष
6
घोड़ा
35 वर्ष  वर्ष



7
मगरमच्छ
60 वर्ष



8
हाथी
70 वर्ष



9
तोता
140  वर्ष



10
कछुआ
100 -150 वर्ष










जनन – जीवो में होने वाली वह जैविक  प्रक्रिया जिसमें की जीव अपनी जाति का अस्तित्व और जीवन की निरंतरता बनाए रखने के लिए अपने समान एक छोटे जीव को जन्म देता है जनन कहलाता है .

जीवन चक्र – जीव जन्म लेता है वृद्धि करता है परिपक्व होता है नयी संतति को जन्म देता है और अंत में मृत्यु हो जाती है यह जीवन का चक्र है .
आनुवंशिक विविधता जनन के दोरान सृजित या वंशानुगत होती रहती है .
जनन के उत्तरदायी कारक (1) आवास (2) आंतरिक शरीर क्रिया विज्ञान (3) कुछ अन्य कारक
जनन के प्रकार – (1) अलैंगिक (2) लैंगिक
अलैंगिक जनन(Asexual Reproduction) – वह जनन जिसमे की संतति की उत्पत्ति एकल जनक के द्वारा होती है

     लैंगिक जनन(Sexual Reproduction)  – वह जनन जिसमें दो विपरीत लिंग वाले नर व मादा जनक, नर व मादा युग्मक(गैमिट) निर्माण कर उनके युग्मन द्वारा संतति उत्पन्न करते हैं 
अलैंगिक जनन – इस प्रकार के जनन में एकल जीव संतान उत्पन्न करने की क्षमता रखता . इस जनन से उत्पन्न जीव जनक से आकारिकीय और आनुवंशिक रूप से समान होता है .
यह जनन सामान्य रूप से एकल जीव तथा साधारण पादपों में पाया जाता है 
क्लोन – अपने जनकों से आकारिकीय और आनुवंशिक रूप से समान जीवों को क्लोन कहते हैं
प्रजीव तथा एक केन्द्रकीय जीव(प्रॉटिस्टा व मोनेरा) में अलैंगिक जनन –इस जनन में जनक कोशिका दो सामान भागों में विभक्त हो जाती है तथा प्रत्येक कोशिका एक नए जीव को जन्म देती है इस अत: इन जीवों में कोशिका विभाजन ही एक प्रकार से जनन की प्रक्रिया है . उदाहरण अमीबा,पेरामिसियम
(मुकुल द्वारा,by budding ) यीस्ट –कोशिका में विभाजन समान नहीं होता . उत्पन्न छोटी कोशिकाएं प्रारम्भ में कलिका के रूप में जनक कोशिका से जुडी रहती हैं यह बाद में अलग हो जाती है और परिपक्व होकर नयी यीस्ट जीव बनाती है .
विशेष अलैंगिक संरचनाओं द्वारा अलैंगिक जनन –
अलैंगिक संरचनाएं (1) अलैंगिक चलबीजाणु (जू स्पोर)  = सूक्ष्म दर्शीय तथा चलनशील(motile) उदाहरण फंजाई जगत और शैवाल में
(2) कोनिडिया(conidia) = उदाहरण पेनिसिलियम  (3) कलिका (bud)= उदाहरण हाईड्रा (4) जेमयूल(Gemmule) 
कायिक प्रवर्धन(vegetative propagation)- कायिक संरचनाएं जैसे कि जड़ तना पत्ती आदि से नए पादपों की उत्पत्ति

कायिक प्रवर्ध(propagule) = वह संरचनाएं जिनसे कायिक प्रवर्धन होता है कायिक प्रवर्ध कहलाते है .
कायिक प्रवर्धन की इकाई = उपरिभूस्तारी, प्रकंद-अदरक , शकरकंद, कन्द(bulb)-आलू ,भूस्तारी ,भुस्तारिका- जलकुम्भी hyasinth,पर्ण कलिकाएँ –पत्थरचट्टा(bryophyllum)
कायिक प्रवर्धन अलैंगिक जनन ही है क्योंकि इसमें दो जनक भाग नहीं लेते
महाविपत्ति(वाटरहायसिंथ) या बंगाल  का आतंक =जलकुम्भी यह जल में बहुत तेज़ी से वृद्धि करने वाला खरपतवार है यह बहुत कम समय में ही तेज़ी से कायिक प्रवर्धन कर पूरे जलाशय में फैल जाता है और जलाशय के पानी की ऑक्सीजन खींच लेता है इस कारण मछलियाँ मर जाती हैं . इससे छुटकारा पाना बहुत मुश्किल होता है इसलिए इसे बंगाल का आतंक कहा गया
आलू ,गन्ना,केला, डहेलिया,आदि की खेती कायिक जनन (कायिक प्रवर्धन) द्वारा की जाती है
लैंगिक जनन
     लैंगिक जनन(Sexual Reproduction)  – वह जनन जिसमें दो विपरीत लिंग वाले नर व मादा जनक, नर व मादा युग्मक(गैमिट) निर्माण कर उनके युग्मन द्वारा संतति उत्पन्न करते हैं 
*युग्मकों के मिलने से युग्मनज (zygote) का निर्माण होता है जिससे कि बाद में नया जीव विकसित होता है .
*लैंगिक जनन अलैंगिक जनन की तुलना में एक विस्तृत जटिल तथा धीमी प्रक्रिया है
*लैंगिक जनन से उत्पन्न संतति अपने जनकों से तथा आपस में भी समरूप नहीं होती
सामान्य विशिष्टताएं जो लैंगिक जनन करने वाले विविध जीवों में सामान होती हैं
सभी जीव अपने जीवन में वृद्धि कर परिपक्वता तक पहुँचते हैं उसके बाद ही लैंगिक जनन कर सकते हैं इस अवस्था की प्रावस्था को जंतुओं में किशोर प्रावस्था तथा पादपों में कायिक प्रावस्था कहते हैं प्रावस्था की अवधि विभिन्न जीवों में अलग अलग होती है .
जनन प्रावस्था =  किशोरावस्था/कायिक प्रावस्था समाप्ति के बाद शुरू होने वाली प्रावस्था जनन प्रावस्था कहलाती है .
उच्च पादपों में जनन प्रावस्था
उच्च पादपों में इस प्रावस्था के समय पुष्प आते हैं
पुष्पन का समय (i) मोसमी=केवल इनके मोसम के समय पुष्प लगते है उदाहरण  आम,सेब,कटहल  (ii) वर्ष पर्यन्त=पूरे वर्ष पुष्प आते रहते हैं  (iii) एक बार =जीवन में केवल एक बार पुष्पन उदाहरण बांस 50 -100 वर्षों के बाद केवल एक पुष्प उत्पन्न
स्ट्रोबिलेंथस कुन्याना (नीला कुरेंजी) 12 वर्ष में केवल एक बार पुष्प
प्राणियों में जनन प्रावस्था
प्राणियों में इस प्रावस्था के समय अंडे दिए जाते है .
अंडे देने का समय (i) मोसमी=केवल जनन काल में अंडे दिए जाते हैं उदाहरण मेढ़क,छिपकली,तथा अधिकतर सरीसर्प एवं पक्षी
(ii) वर्ष पर्यन्त =पूरे वर्ष भर अंडे दिए जाते हैं उदाहरण - संरक्षण में रखे जाने वाले पक्षी जैसे की कुक्कुट फार्म में पूरे वर्ष भर अंडे दिलवाए जा सकते हैं .यह अंडे देना जनन से नहीं बल्कि  व्यापार और मानव कल्याण से सम्बंधित है .
अपरा स्तनी मादा में
चक्रिक परिवर्तन होते हैं .नॉनप्राइमेट्स और प्राइमेट्स में इन्हें अलग नामों से जाना जाता है तथा इनकी विशेषता व काल  भी अलग अलग है
नॉनप्राइमेट्स = मद्चक्र     प्राइमेट्स = ऋतुस्त्राव चक्र
मद्चक्र
नॉन प्राइमेट्स जीवों जैसे की गाय,कुत्ता,हिरण,चीता,भैंस,भेड़,चुहा आदि की मादा में जनन के समय अण्डाशय की सक्रियता और हार्मोन्स सम्बन्धी होने वाले परिवर्तन को मद चक्र (ओएस्टरस साइकिल) कहते हैं.  
ऋतुस्त्राव चक्र
प्राइमेट्स जैसे कि बन्दर,कपि,व मनुष्य की मादा में होने वाला जनन चक्र जो की प्रतिमाह एक निश्चित अवधि के बाद होता है ऋतुस्त्राव चक्र(menstrual cycle) कहलाता है इसे मासिक धर्म या माहवारी भी कहते हैं.
मोसमी प्रजनक = ऐसे प्रजनक जो की एक निश्चित  मोसम में जनन करते हैं
सतत प्रजनक = ऐसे जीव जो की जीवन के पूरे जनन काल में जनन के लिए सक्रीय रहते हैं .
जीर्णता या वृद्धावस्था =जीवन काल का व समय जब प्रजनन आयु समाप्त हो जाती है . जीवन अवधि का यह अंतिम चरण है. इस समय उपापचय क्रियाएं मंद होने लगती हैं .यह अवस्था अंततः मृत्यु तक पहुँचती है .  
जीवों के जीवन काल की अवस्थाएँ = (i) कायिक/किशोर प्रावस्था (ii) जनन प्रावस्था (iii) जीर्णता या वृद्धाप्रावस्था
तीनों प्रवास्थाओं के बीच संक्रमण के लियें हॉर्मोनस ज़िम्मेदार होते हैं जीवों में जनन और अन्य व्यवहार पर्यावरणीय कारकों और होर्मोन्स के बीच परस्पर क्रियाओं की अभिव्यक्ति है .
लैंगिक जनन की कुछ घटनाएँ  अध्ययन की सुविधा के लिए इन क्रमबद्ध घटनाओं को तीन अवस्थाओं में बांटा जा सकता है
(i)निषेचन-पूर्व (ii) निषेचन के समय (iii) निषेचन-पश्चात   

जीवों में जनन

अध्याय -1 जीवो में जनन जीवन अवधि – जीव के जन्म से लेकर उसकी प्राकृतिक मृत्यु तक की अवधि (काल) उसकी जीवन अवधि कहलाती है . ...